कभी तानों में कटेगी,
कभी तारीफों में;
ये जिंदगी है यारों,
पल पल घटेगी !
पाने को कुछ नहीं,
ले जाने को कुछ नहीं;
फिर भी क्यों चिंता करते हो !
इससे सिर्फ खूबसूरती घटेगी,
ये जिंदगी है यारों पल पल घटेगी !!
बार बार रफू करता रहता हूँ,
...जिन्दगी की जेब !!
कम्बखत फिर भी, निकल जाते हैं...,
खुशियों के कुछ लम्हें !!
ज़िन्दगी में सारा झगड़ा ही...
ख़्वाहिशों का है !!
ना तो किसी को गम चाहिए,
ना ही किसी को कम चाहिए !!
खटखटाते रहिए दरवाजा...,
एक दूसरे के मन का;
मुलाकातें ना सही,
आहटें आती रहनी चाहिए !!
उड़ जाएंगे एक दिन ...,
तस्वीर से रंगों की तरह!
हम वक्त की टहनी पर...,
बेठे हैं परिंदों की तरह !!
बोली बता देती है,इंसान कैसा है!
बहस बता देती है, ज्ञान कैसा है!
घमण्ड बता देता है, कितना पैसा है !
संस्कार बता देते है, परिवार कैसा है !!
ना राज़* है... "ज़िन्दगी",
ना नाराज़ है... "ज़िन्दगी";
बस जो है, वो आज है, ज़िन्दगी!
मिलने को तो हर शख्स,
हमसे बड़ा एहतराम से मिला,
पर जो भी मिला...,
किसी ना किसी काम से मिला !!
जीवन की किताबों पर,
बेशक नया कवर चढ़ाइये;
पर...बिखरे पन्नों को,
पहले प्यार से चिपकाइये !!!!!



Your poem is circulating on Whatsapp under the name of Gulzar. I received it today and searched for the real author. Congratulations for writing such a good poem.
उत्तर द्याहटवाSuper experience
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